Friday, April 10, 2015

Kanwal Speaks - April 11, 2015 at 10:29AM

बहुत हलाहल पी बैठा हूँ, नीलकंठ बन जी बैठा हूँ; आई अब तांडव की बेला, अब खुलेगा त्रिनेत्र मेरा; और तपस्थ न रहना है रुद्र रूप अब लेना है । #कंवल

by अहं सत्य



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